आखिर तक कोई नहीं भांप पाया हलके की सही तस्वीर
रजनीश शर्मा,
करीब 40 दिन बाद हमीरपुर सदर विधानसभा क्षेत्र के लोगों ने एक बार फिर वोट डाले लेकिन आखिरी पल तक वोटर साइलेंट रहा। इस बार हमीरपुर सीट के लिए हुए उपचुनाव में आखिर तक कोई भांप ही नहीं पाया कि हवा किस ओर को बह रही है। दरअसल इस बार यहां का वोटर पूरी तरह से साइलेंट रहा। इसकी बड़ी वजह यह नजर आई कि चुनाव मुख्यमंत्री के गृह जिले में हो रहा था और हर किसी ने विवाद से दूरी बनाए रखना ही उचित समझा। यहां तक कि बीजेपी का वोटर भी खुद को बचता बचाता नजर आया। जबकि पूर्व में वर्ष 2022 के विधानसभा आमचुनाव की बात करें तो आशीष शर्मा ने जब निर्दलीय चुनाव लडऩे का फैसला किया था तो महीनों पहले से ही उनकी ओर हवा बननी शुरू हो गई थी।
चुनाव आते-आते पिक्चर साफ हो गई थी जीत होगी और बड़ी होगी। लेकिन इस बार उपचुनाव में आखिर तक सियासी पिक्चर कोहरे से ढकी रही।
करीब एक महीना चले उपचुनाव के प्रचार पर नजर डालें तो पूरे प्रचार में विकास को लेकर ज्यादा बातें नहीं हुई। कांग्रेस ने बीजेपी प्रत्याशी को एक ही मुद्दे पर घेरे रखा तो ,भाजपा प्रत्याशी पूरे प्रचार में इसके जवाब में मुख्यमंत्री को घेरते हुए नजर आए। कांग्रेस पूछती रही कि निर्दलीय विधायक ने इस्तीफा क्यों दिया, तो बीजेपी प्रत्याशी बताते रहे कि किस तरह मुख्यमंत्री उन्हें कई महीनों से जलील करते रहे और हमीरपुर के लोगों के काम नहीं कर रहे थे। इसलिए उनके पास विपक्ष का साथ देने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं बचा था।
वहीं पूरे उपचुनाव का प्रचार कांग्रेस के बिकाऊ और टिकाऊ जैसे आरोपों के साथ ही चलता रहा। कांग्रेस प्रत्याशी को इस उपचुनाव में मुख्यमंत्री का फुल सपोर्ट मिलता रहा जबकि भाजपा प्रत्याशी पूर्व में करवाए अपने कार्यों के दम पर लोगों के बीच जाते रहे। पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और दूसरें जिलों से आए पार्टी के प्रवक्ता और अन्य सीनियर लीडर भाजपा प्रत्याशी के साथ जरूर खड़े नजर आए लेकिन लोकल नेताओं की साथ चलने की औपचारिकता को सबने देखा भी और महसूस भी किया।
डेढ़ माह के भीतर दूसरी बार उपचुनाव
बताते चलें कि हमीरपुर जिला में राजनीति के इतिहास में यह पहला मौका है जब डेढ़ माह के भीतर दूसरी बार जिले में उपचुनाव हुआ है। विदित रहे कि इससे पहले एक जून को लोकसभा के आमचुनावों के साथ हमीरपुर जिले की सुजानपुर और बड़़सर सीट के लिए भी उपचुनाव हुआ था। सुजानपुर में कांग्रेस के प्रत्याशी जबकि बड़सर में भाजपा प्रत्याशी की जीत हुई थी।